Monday 6 April 2020

यह सांप्रदायिकता कोरोना है

            अभी जब मैं यह लिख रहा हूंदेश-दुनिया में कोरोना अपनी कहानी के अगले पन्ने लिख रहा है. भारत में उसने अभी तक 2056 लोगों को दबोचा है अौर 53 लोगों को उठा ले गया है. आंकड़ा बहुत बड़ा नहीं है लेकिन यह जिस तेजी से रंग बदल रहा है उससे यह जरूरी हो गया है कि हम आपस में न लड़ेंबीमारी से लड़ें. लेकिन आदमी का दुर्भाग्य तो यही है न कि वह आपस में लड़ कर भले कट मरे लेकिन लड़ता है जरूर ! 

            दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में मुसलमानों की एक रूढ़िवादी जमात तबलीगी जमात की अंतरराष्ट्रीय आॉफिस है- निजामुद्दीन मरकज ! देश का जागरूक,तरक्कीपसंद मुसलमान समाज इससे कोई निस्बत नहीं रखता है. वे इसे मुसलमानों का अार.एस.एस.कहते हैं. इसी मरकज से कोरोना से संक्रमित लोगों की बड़ी संख्या मिली है. इतनी बड़ी संख्या में कोरोना संक्रमित लोग किसी जगह से दिल्ली में अब तक नहीं मिले थे. इसी 13-14 मार्च 2020 को इस अंतरराष्ट्रीय केंद्र पर देशी-विदेशी 4000 लोगों का धार्मिक सम्मेलन हुआ था. सम्मेलन में आए प्रतिनिधि बाद में देश के विभिन्न इलाकों में गये. यहां से कोरोना के फैलाव की वह भयंकर कहानी शुरू हुई जो अब फैलती हुई दानवाकार हुई जा रही है. लोग मरे भी हैंअलग-थलग भी कर दिए गये हैं अौर सारे देश में छानबीन हो रही है कि इन्होंने कहांकितनों को संक्रमित किया है. यह असंभव-सा काम संभव बनाने में वे लोग जुटे हैं जिन्हें इससे भी जरूरी काम करने थे. कुछ लोगों की शैतानियत भरी अंधताबेहद गैर-जिम्मेवाराना व्यवहार अौर धार्मिकता की अधार्मिक समझ ने अाग में घी डालने का काम किया है. तबलीगी जमात ने पूरे होश-अो-हवाश में यह काम किया है. मरकज के प्रमुख हजरत मौलाना शाद को हम सुनें व उनका रवैया देखें तो लगता ही नहीं है कि इन महाशय का अक्ल से कोई नाता भी है. यह मानसिक कोरोना है. नहींयह जमात कोरोना बीमारी फैलाने में नहीं लगी थीयह अपने लोगों को मानसिक कोरोना की जकड़ में रखने में लगी रही हैलगी हुई थी. इन्हें अपने जमात के इस अंधविश्वास को अौर गहरा करना था कि खुदाकुरान अौर मस्जिद अौर उनका मौलाना सब किसी भी ‘ शक्ति’ से ज्यादा शक्तिमान हैं. 

            इनका धंधा ही धोखे पर चलता है जैसे सारे धर्म-संगठनों का चलता है. ऐसे अंधों में भी ये सबसे बड़ी अंधता के शिकार हैं. अब जब कि सभी पकड़े गये हैंपकड़े जा रहे हैं अौर इनका निजामुद्दीन मरकज’ बंद कर दिया गया हैहमें यह पूरा मामला दिल्ली सरकारदिल्ली पुलिस अौर भारत सरकार के हवाले कर देना चाहिए अौर अपना पूरा ध्यान करोना से सुरक्षादूसरों की मदद अौर सावधानियां रखने में लगाना चाहिए. यही सब कोरोना से लड़ने अौर उसे हराने के तरीके हैं. 

            लेकिन ऐसा कैसे हो भला देश में अविकसित बुद्धि वाले अंधे बच्चों’ की संख्या कम तो नहीं है ! इन अंधे-अल्पबुद्धि बच्चों’ में चालाक लोगों ने इतना जगह भर रखा है कि उसने इस सारे मामले को हिंदू-मुसलमान में बदल डाला है. अब तक जो कोरोना था वह देखते-देखते सांप्रदायिक हो गया. इसकी मारक क्षमता हजार गुना बढ़ गई है. तबलीगी जमात के बारे में कहते हैं कि यह जमीन के नीचे (कब्र) अौर अासमान के ऊपर (स्वर्ग) की जिंदगी की बात करती है. लेकिन मुसलमान हों कि हिंदू कि कोई अौरसबका समाज तो धरती पर रहता है न ! उसे धरती पर कैसे जीना है अौर धरती पर कैसे मरना हैयह बताना-सिखाना सच्चा धर्म हैयही है धार्मिक काम है. जिन्हें नीचे अौर ऊपर की फिक्र है उन्हें जल्दी से वहीं जा करधरती पर रहने वाले समाज का इंतजार करना चाहिए.  

            हमें यह देखना अौर समझना ही चाहिए कि संकट के इस दौर में हमें वही अौर उतना ही कहना-लिखना-दिखाना-बताना है जितना संकट का मुकाबला करने में सहायक हो. बाकी बातें दबा देने कीपीछे कर देनी की हैंठीक वैसे ही जैसे सांप्रदायिक दंगों के वक्त संप्रदायों का नाम नहीं लेने की समझदारी की जाती है. अाखिर कोरोना से ठीक पहले दिल्ली के प्रायोजित दंगे के वक्त भड़काऊ भाषण देनेवाले अपराधियों पर मुकदमा चलाने की बात अदालत ने क्यों की थी क्योंकि किसी भी अाग में घी डालना अमानवीयता हैअनैतिकता है. कोई पूछे कि मुंबई के वर्ली पुलिस कैंप में 800 पुलिस का जमावड़ा क्यों था कि जिनमें से एक कांस्टेबल को कोरोना निकला है अौर अब सबको अलग-थलग किया जा रहा है अौर ये 800 पुलिसकर्मी अपनी जिम्मेवारी निभाने कितनी जगहों परकितने लोगों के बीच गयेकोई पता कर भी सकता है क्या लेकिन जब अापने पुलिस को ही  समाज में स्वतंत्र छोड़ा है अौर उसे ही हर जिम्मेवारी निभानी है तो उन बेचारों के कैंपों काउनके जमावड़े का अाप विरोध कैसे कर सकते हैं मुंबई का ही वर्ली कोलिवाडा वहां का सबसे खतरनाक संरक्षित इलाका घोषित किया गया है अौर वहीं से निकल कर तीन लोग सैर करते पकड़े गये तो कोई हंगामा मचाए कि क्या अौर कैसी निगरानी-व्यवस्था है सरकार की अौर मध्यप्रदेश में विधायकों को जिस तरह भेंड़-बकरियों की तरह होटलों-होटलों में घुमाया गयाखरीदा गया अौर फिर सरकार गिराने के लिए उनका जमावड़ा किया गयाक्या वह कोरोना के खतरे से सावधान करने का तरीका था अौर अयोध्या में रामलला की मूर्ति का मुख्यमंत्री द्वारा स्थानांतरण इसी वक्त करने की योजना क्यों बनी अौर कैसे उसकी अनुमति हुई सवाल तो यह भी किया जाना चाहिए कि हरिद्वार जैसे स्थानों पर भीड़ लगी है अौर वहां से निकल कर लोग यहां-वहां जा रहे हैं तो वह कैसे हो  रहा है क्या ये सारे सवाल हंगामा करने लायक नहीं हैं हैंलेकिन क्या अभी हंगामा किया जाना चाहिए नहींअभी अपनी सामाजिक व निजी कमजोरियों पर पछताते हुए हमें सावधानी अौर एकता की ही बात करनी चाहिए न इस कोरोना-काल से जो बचेंगे वे इन सारे मामलों की जांच भी करें अौर सजा भी दें अौर अागे के यम-नियम भी बनाएं - जरूर बनाएंलेकिन अभी तो इसे अधिकारियों के हाथ में सौंप करहमें अभी की चुनौती का एकाग्रता से मुकाबला करना चाहिए !
  
            वे सारे लोगसंगठन अौर चैनल अौर एंकर देश के लिए कोरोना से भी ज्यादा खतरनाक हैं जो इसे सांप्रादायिक कोरोना में बदल रहे हैं. कहते हैं कि इस कोरोना विषाणु की उम्र 14 दिनों की होती हैइतिहास बताता है कि सांप्रदायिक कोरोना की उम्र हजारों साल की होती है. लाखों के थाली व ताली बजाने अौर दीप जलाने से भी यह मरता नहीं है. इसके लिए मन के दीप जलाना जरूरी है. ( 05.04.2020)

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