Wednesday 22 April 2020

यह दोधारी तलवार है

कोरोना की मार से बेहाल देश से प्रधानमंत्री ने एक गहरे राज की बात कही : कोरोना धर्म-जाति का भेद नहीं करता है. मैं इस रहस्योद्घाटन से अवाक रह गया ! यह तो हम जानते ही नहीं थे. मैं खोजने लगा कि प्रधानमंत्री ने यह कब कहा : देश के नाम अपने पहले संदेश में कहा जब उन्होंने जनता कर्फ्यू का कार्यक्रम देश को दिया था अौर ताली-थाली-घंटी-शंख बजाने को कहा था नहींतब तो नहीं कहा. देश के नाम दूसरे संदेश में कहा जब उन्होंने 21 दिनों की तालाबंदी घोषित की थी अौर 9 तारीख को 9 मिनट तक दीपटॉर्च या मोबाइल की रोशनी जलाने को कहा था नहींतब तो नहीं कहा. देश के नाम तीसरे संदेश में कहा जब तालाबंदी अागे बढ़ाई अौर यह धमकी भी दी कि यदि उनके अादेशों का पालन नहीं हुअा तो कहीं-कहीं दी जाने वाली छूटों को भी तत्काल रद्द कर दिया जाएगा नहींतब भी नहीं कहा. इन तीनों संदेशों में कहीं भी कोरोना के इस धर्मद्रोही चरित्र का खुलासा नहीं किया उन्होंने.  

      फिर इतने बड़े सच का उद्घाटन कहां किया सुन रहा हूं कि ऐसा ट्वीट किया उन्होंने. अपने परम ज्ञानी अब ट्वीट पर ही ज्ञानवार्ता करते हैं. मैं सोचता रहा कि जब अाप सदेहसामने अा कर देश से बातें करते हैं अौर सारा देश टीवी के सामने होता है तब यह सच क्यों नहीं बताया गया सच का सच तो यह है न कि वह जितना फैलता है उतना ही शक्तिशाली होता है. लेकिन कुछ सच ऐसे भी होते हैं जो इसलिए बोले जाते हैं कि वे सुने भी न जाएं अौर दर्ज भी हो जाएं कि वे कहे भी गये हैं. यह सच की राजनीति है. 

      कोरोना से भी ज्यादा खतरनाक हैं ये बीमारियां ! इनका वायरस पिछले लंबे समय से पाला अौर फैलाया जा रहा है. यह है घृणा अौर अविश्वास का वायरस ! नागरिकता कानून के खिलाफ चले अांदोलन के समय से घृणा का यह वायरस फैलाया जाता रहा जो अंतत: राजधानी दिल्ली में सांप्रदायिक दंगे के रूप में फूटा. मैं सोचता हूं कि यदि कोरोना नहीं फूट पड़ा होता तो हम क्या कर रहे होते सारे देश में सांप्रदायिक दंगों की अाग बुझाते होते अौर कुछ लोग मरते-मारतेहोते. कोरोना अाज सांप्रदायिक दंगों का वैक्सीन बन गया. 

      अाज देश में उसी धर्मविशेष के खिलाफ फिर जहर भरा जा रहा है मानो उसी धर्म के लोगों ने कोरोना का विषाणु बनाया है अौर भारत को बर्बाद करने के लिए उसे फैलाया है. कोई पूछे कि क्या इन शातिर लोगों को उस सच की जानकारी ही नहीं थी कि जिसे प्रधानमंत्री जानते हैं कि कोरोना धर्म-जाति का भेद नहीं करता है अगर उन्हें यह जानकारी थी तो वे ऐसी मूर्खता कैसे कर गये अब तो मरेंगे वे भी जैसा कि वे मर रहे हैं. अगर उन्हें इस सच की जानकारी नहीं थी तो वे वैसे शातिर नहीं हैं कि जैसा उन्हें बताने की कोशिश हो रही है. दिल्ली की तब्लीगी मरकज अादि में जो चूक हुई वह वैसी ही है जैसी चूक हर धर्मांधता करती है. हिंदुअों के कितने अायोजन कोरोना के इस दौर में भी हुए हैंहो रहे हैं जिनमें ‘ अापकी बताई कोई सावधानी’ नहीं बरती जा रही है. उसकी चर्चा न सरकार करती हैन समाचार चैनल बोलता है. समाचार अौर सरकारी प्रचार की जैसी जुगलबंदी इन दिनों चल रही है उसके बाद तो यही देखना है कि इस देश में कलम कब सर उठा कर चल पाती है ! 

      लेकिन एक राज की बात मुझे भी मालूम हुई है. घृणाअफवाह अौर अविश्वास का वायरस  भी न देशोंन इंसानों के बीच भेद करता है. यह जब फैलता है तब सिर्फ शिकार करता हैशिकार की धर्म-जाति-रंग-भाषा-भूषा नहीं देखता है. वह ग्राहम स्टेंस को उनके दो मासूम बच्चों के साथ बंद गाड़ी में अाग के हवाले कर देता है अौर हम मरने अौर मारने वालों के धर्म का पोथा बांचते रह जाते हैं. यह वायरस जब फैलता है तब मुंबई जैसे महानगर की धड़कनों में बसने वाले पालघर में 3 निरपराध लोगों की हत्या कर डालता है. उन 3 में 2 साधु थे अौर तीसरा था उनकी गाड़ी का ड्राइवर. अभागी घटना की खबर अाई अौर घृणा का राजनीतिक वायरस सक्रिय हो गया. दिल्ली से भाजपा के भोंपू संबित पात्र नेमुंबई से पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अौर उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री अादित्यनाथ ने इसे हिंदू साधुअों की योजनापूर्वक की जा रही हत्या करार दिया अौर उन सबको कठघरे में खड़ा किया जो संविधाननागरिक अधिकार की पैरवी अौर सांप्रदायिकता का विरोध करते हैं. जहरीली अावाज में पूछा गया कि ये लोग अब क्यों नहीं कुछ बोल रहे अपने सवाल का जवाब संबित पात्र ने खुद ही दिया : अब ये लोग कैसे बोलेंगेहिंदू साधुअों की किसे फिक्र है !! 

     सांप्रदायिकता के सवाल पर महाराष्ट्र सरकार अौर उसके मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की छवि भी कुछ साफ नहीं रही है लेकिन सत्ता का जादुई पत्थर सबको रगड़ डालता है. उद्धव ठाकरे ने भी नये कपड़े पहन लिए हैं. उन्होंने तुरंत ही मामले की सच्चाई देश के सामने रख दी. पता चला कि यह सांप्रदायिकता का नहींमियां की जूती मियां के सर वाला मामला था. पिछले दिनों मॉबलिंचिंग नाम का जो नया वायरस बना हैयह उसी का करिश्मा था. इस हथियार से अब तक कितने ही मुसलमानों की जानें ली गई हैं लेकिन एक भी मामले की कानूनी जांच अौर एक को भी कानूनी सजा नहीं हुई है. लेकिन घृणा का वायरस तो फैला हुअा है. पालघर में पिछले दिनों से बच्चाचोर की अफवाह का वायरस फैलाया गया . ये सभी एक-से ही गुण-धर्म के वायरस हैं. दोनों बेचारे साधु अौर उनका ड्राइवर इसी वायरस के शिकार हुए. हत्यारे यदि इस वायरस के शिकार नहीं होते तो इन्हीं साधुअों की चरणरज लेते पाये जाते. जब अफवाह-वायरस के शिकार लोग दोनों साधुअों को बच्चाचोर समझ कर उनकी अंधाधुंध पिटाई कर रहे थेपुलिस वहां नहीं थीऐसी बात नहीं थी. वह वहीं थी लेकिन वह अपनी जान बचा रही थी. वह तब भी ऐसा ही करती थी जब मारा जा रहा अादमी हिंदू नहीं हुअा करता थावह अाज भी वैसा ही कर रही है. अाप वही काट रहे हैं जो अापने बोया है. हम दोनों तरफ से कट रहे हैं क्यों कि हमें ऐसी फसल मंजूर नहीं है. ( 22.04.2020)

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